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मंत्री विजय शाह के खिलाफ FIR का आदेश

जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए राज्य के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता विजय शाह के खिलाफ Bhartiya Nyaya Sanhita, 2023 की धारा 152, 196(1)(b), और 197(1)(c) के तहत तत्काल FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई एक सार्वजनिक समारोह में कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में की गई है।

कोर्ट ने इस मामले को स्वत: संज्ञान में लिया, जब विभिन्न समाचार पत्रों (पत्रिका, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, 14 मई 2025) और डिजिटल मीडिया (यूट्यूब लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=fmYw2XBAdic) में प्रकाशित खबरों में बताया गया कि विजय शाह ने अम्बेडकर नगर के रायकोंदा गांव में आयोजित एक समारोह में कर्नल सोफिया कुरैशी को “पहलगाम में 26 निर्दोष भारतीयों की हत्या करने वाले आतंकवादियों की बहन” कहकर संबोधित किया। कोर्ट ने इस बयान को “अपमानजनक और खतरनाक” करार देते हुए कहा कि यह न केवल कर्नल कुरैशी, बल्कि भारतीय सेना के सम्मान को भी ठेस पहुंचाता है।

हाईकोर्ट के जज अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, “मंत्री का यह बयान मुस्लिम समुदाय के प्रति अलगाववादी भावनाओं को भड़काने वाला है, जो देश की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालता है।” कोर्ट ने इसे BNS की धारा 152 (देश की संप्रभुता और एकता को खतरा), धारा 196(1)(b) (धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना), और धारा 197(1)(c) (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक बयान) के तहत अपराध माना।

कोर्ट ने मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) को शाम तक विजय शाह के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया, अन्यथा 15 मई 2025 को होने वाली अगली सुनवाई में DGP के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस मामले को अगली सुनवाई में सूची के शीर्ष पर रखा जाए और रजिस्ट्रार (आईटी) को विजय शाह के अपमानजनक भाषण से संबंधित सभी वीडियो लिंक एकत्र करने को कहा।

यह मामला भारतीय सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के नेतृत्व में चलाए गए ऑपरेशन “सिंदूर” के संदर्भ में विशेष रूप से गंभीर माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। कोर्ट ने कहा कि सेना, जो “अखंडता, अनुशासन, बलिदान और साहस” का प्रतीक है, के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी अस्वीकार्य है।

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नोट: यह खबर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश (WP No. 17913 of 2025) पर आधारित है और इसमें कोर्ट की टिप्पणियों और निर्देशों को शामिल किया गया है।

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