
देश भर में सूख चुके हुए जलस्रोतों को दोबारा जिंदा करने के लिए कई प्रकार के प्रयोस किए जा रहे हैं। कई एनजीओ के प्रयासों की वजह से जमीन के जल-स्तर में सुधार हुआ है, सिंचाई आसान हुई है और पारिस्थितिकी तंत्र बहाल हुआ है। ऐसी ही एक सामाजिक संस्था है सम्पूर्णा जो वर्षों से जल संकट और जल संरक्षण को लेकर न सिर्फ जागरूकता अभियान चला रही है, वरन कई जल स्त्रोंतों को पुर्नजीवन भी उन्होंने दिया है। 26 जून 2025 को दिल्ली विधानसभा परिसर में ‘सूखे कुएँ, जल निकाय एवं पर्यावरण’ विषय पर सम्पूर्णा द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता माननीय विधानसभा अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता जी ने की। विजेन्द्र गुप्ता जी, ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए महत्वाकांक्षी जल अभियानों— मिशन अमृत सरोवर (हर जिले में 75 जलाशयों का पुनर्जीवन) और जल शक्ति अभियान: कैच द रेन – 2025—का उल्लेख करते हुए कहा कि ये अभियान केवल सरकारी योजनाएं नहीं, बल्कि राष्ट्र पुनर्निर्माण का खाका हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब जनता भागीदार बनती है, तो सबसे बड़ी चुनौतियाँ भी अवसर में बदल जाती हैं।
इस अवसर पर सम्पूर्णा की संस्थापिका डॉ. शोभा विजेन्द्र जो लगातार इस विषय पर काम और लोगों को प्रोत्साहित कर रही हैं, ने कहा कि जल संकट से बचने के लिए सबसे जरूरी है समाज की भागीदारी। पानी बचाने के लिए छोटे-छोटे प्रयास करके शुरुआत करने से ही लोग बचते हैं और सोचते हैं कि हम कौन-सी पानी की बर्बादी कर रहे हैं। लेकिन जल संकट का सामना न करना पड़े, इसके लिए शुरुआत हमें अपने घर सेही करनी होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली की वॉटरबोडीज़ को पुनः जीवित कर हम जल संरक्षण और पर्यावरण में सुधार के सार्थक प्रयास करेंगे। नई सरकार से हमें बड़ी उम्मीदें हैं, क्योंकि जल में लगातार होने वाली कमी के कारण संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने जागरूक और जिम्मेदार उपभोग की आवश्यकता पर बल देते हुए चेतावनी दी, “यदि हम आज अपनी उपभोग की आदतें नहीं बदलते, तो भविष्य में हमें इसके दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
इस गोष्ठी के मुख्य वक्ता महरौली क्षेत्र के विधायक गजेन्द्र यादव जिन्होंने महरौली विधानसभा के तीन प्रसिद्ध मंदिरों के कुओं का जीणोद्धार कर कुओं को पुनर्जीवित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है, ने कहा कि जन जीवन के हित के लिए सम्पूर्णा जो काम कर रही है, वे प्रशंसनीय हैं। उन्होंने कहा कुएं केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं, जिन्हें संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, दिल्ली प्रांत संयोजक जय कुमार गोयल ने कहा कि दिल्ली में संघ परिवार द्वारा भी दिल्ली के जल निकायों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है। इसमें जनता का समर्थन आवश्यक है। गोष्ठी के दौरान पर्यावरण कार्यकर्ता दिवान सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार द्वारका में प्रारंभिक विरोधों के बावजूद जन सहयोग से एक जल निकाय का सफल पुनर्जीवन संभव हो सका।
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पोद्दार ने कहा कि जब तंत्र और सामाजिक संस्थाएं एकजुट होकर कार्य करती हैं, तो उसके परिणाम अधिक प्रभावी और स्थायी होते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे विषयों को विधानसभा के सदन में भी चर्चा हेतु लाया जाना चाहिए। भारतीय जैन संघ के नरेंद्र जैन ने पर्यावरण के प्रति अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं सेवा भावना का उल्लेख किया, जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी खुले मंच से प्रशंसा की है।
खाटूधाम से पधारे डॉ. नरेश जी ने संरक्षण संबंधी प्रयासों में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। सत्यवती कॉलेज के प्रधानाचार्य हरी मोहन जी की गरिमामयी उपस्थिति हेतु उनका भी अभिनंदन किया गया। आज की इस गोष्ठी में यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली के जल निकायों और कुओं को पुनः जीवित करने की आवश्यकता है।
संगोष्ठी का समापन इस सर्वसम्मति के साथ हुआ कि दिल्ली को जल और पर्यावरण संकटों से उबारने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण, समुदाय की भागीदारी और संस्थागत प्रतिबद्धता को एक साथ लाना होगा। इस अवसर पर पर्यावरण विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न क्षेत्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया और एक जल-सुरक्षित, टिकाऊ भविष्य की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लिया।